Wednesday, July 27, 2011

धर्म और आध्यात्म

निश्चित रूप से धर्म और आध्यात्म में अंतर है.....आपने कहा कि "धर्म अन्धों कि लाठी मात्र है...".....आपकी बात से सहमत हुआ जा सकता है अगर आप "धर्म" कि जगह "पंथ या कर्मकांड" शब्द का प्रयोग करें.......धर्म कोई कर्मकांड नहीं, धर्म सामाजिक आवश्यकता है....समाज के विकास कि पद्धति है......आध्यात्म और धर्म में तुलना कि जाए तो धर्म का पलड़ा भारी बैठता है.....आध्यात्म मनुष्य की व्यक्तिगत आवश्यकता है.....आप आध्यात्मिक है तो आप निश्चित रूप से मोक्ष को स्वयं के लिए सुरक्षित कर रहे हैं....परन्तु यदि आप धार्मिक है तो समाज में अपना योगदान, न चाहने पर भी, स्वतः दे देंगे.....धर्म किसी समुदाय विशेष से सम्बंधित नहीं है...जिसे धर्म समझ रहे हैं आप , वो बस एक पंथ के अंतर्गत आने वाला कर्मकांड मात्र है.......

...धार्मिक भी हूँ और हिंदू भी

मै कहता हू मै हिंदू हूँ.....तो इसका अर्थ ये है कि मुझने वो सामर्थ्य है कि मै स्वयं से विरोधाभास प्रकट करने वाले विचारों को भी धैर्य पूर्वक सुन सकूँ....मुझमे वो छमता है कि अगर मेरे विचारों में कोई त्रुटि है तो उसे निकाल बाहर करूं....किसी और के विचार अपना सकूँ यदि वो उचित हैं तो......ये सब करने में मेरा मन और मेरे संस्कार मेरी पगबाधा नहीं बनेंगे...........धार्मिक हू तो इसका अर्थ ये है कि मुझमे मानवता है.....मै किसी को कष्ट पहुचाना घृणित कृत्य समझता हूँ....मै धार्मिक हू अर्थात मै वो करता हूँ जो धर्म है, अर्थात जिसमे समाज व विश्व कि भलाई है.....धर्म वो है जो सबको सुखी सकने के लिए किया गया कृत्य है....धर्म वो है जो मानवता की भलाई के लिए बनाए गए नियम हैं......................धार्मिक भी हूँ और हिंदू भी

Monday, July 25, 2011

तुम पुराने हम पुराने

क्या सुनाए दास्तानें, तुम पुराने हम पुराने
लौट कर एक बार जो, आया हूँ मिलने तुमसे फिर मैं
रह गया हैरान सुनकर, जो किए तुमने बहाने

मिट गया था, लुट गया था, दिल ये मेरा फट गया था
देखा मैंने दौर जो वो, मन सभी से हट गया था
जोड़ कर लाया हूँ दिल फिर से जरा तुमसे लगाने

कह दिया था तुमने एक दिन, जा चला जा दूर मुझसे
सुन लिया था मैंने उस दिन, मानकर मजबूर है तू
सुन खबर खुशियों की, आया याद तुझको फिर दिलाने

जिंदगी था, बंदगी था, तू हमेशा संग ही था
क्यों चला जाऊं मैं फिर से, तोड़ कर नाते पुराने
याद रखना गर मैं आया, फिर कभी मिलने जो तुझसे
याद कर लेना हिसाबों को जो तुमको हैं चुकाने.............................राहुल